flax seeds benefits in hindi अलसी बीज के फायदे

अलसी के बीज पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें कई प्रकार के विटामिन होते है  हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। अलसी के बीजों से तेल निकाला जाता है जो खाना बनाने के साथ अनेक प्रकार दवा बनाने में काम आता है। तेल निकालने के बाद जो बचता है उसे पशुओं को खिला दिया जाता है  इसे खाने से पशुओं में दूध और माँस की गुणवत्ता में बहुत सुधार होता है। इसके पौधे में शानदार रेशा होता है जिसे “सन” के नाम से जाना जाता है जिसे कपड़े, रस्सी आदि बनाने में काम लिया जाता है। अलसी के बीज और पौधा दोनों व्यावसायिक महत्त्व रखते हैं। अंग्रेजी भाषा में यह रेशा “लिनन ” कहते है। आजकल उच्च तकनीक से बने लिनन के कपड़े कॉटन की तरह आरामदायक होते हैं  अलसी का सबसे अधिक उत्पादन कनाडा में होता है।हैरान करने वाली बात ये है अलसी उत्पादन में हमारा भारत चौथे नंबर पर आता है। भारत में अलसी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है। इसके साथ साथ छत्तीसगढ़ , उत्तरप्रदेश , महाराष्ट्र और बिहार में  भी है।

अलसी बीज के गुणों की खान है 

अलसी में पाए जाने वाले फाइबर , एंटीऑक्सीडेंट , और ओमेगा 3 फैटी एसिड के कारण यह एक अलग ही । दुनिया भर में इसका प्रयोग करके लाभ प्राप्त किया जा रहा है। अलसी के बीजों  में थायमिन , विटामिन बी 6 , फोलेट , नियासिन , राइबोफ्लेविन , विटामिन K , पैण्टोथेनिक एसिड जैसे विटामिन होते हैं तथा मैंगनीज  , फास्फोरस , मैग्नीशियम , कॉपर , सेलेनियम , आयरन ,जिंक , तथा कैल्शियम जैसे खनिजों का यह बहुत अच्छा स्रोत है। ये सभी शरीर के लिए जरुरी और लाभदायक तत्व हैं ।अलसी के बीज में लिगनन नामक तत्व बहुतायत में होता है। यह पेड़ पौधों में पाया जाने वाला पोलीफेनोल एंटीऑक्सीडेंट है जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह तत्व शरीर में हानिकारक फ्री रेडिकल को नष्ट करके कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है।


अलसी बीज के फायदे   

बाल – Hair

अलसी के बीजों में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे प्रोटीन , कैल्शियम , ज़िंक , मैग्नीशियम , आयरन और ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि। बालों के स्वास्थ्य के लिए ये सभी जरुरी होते हैं। अतः अलसी के उपयोग से बाल घने , मजबूत और रेशमी बनते हैं। इससे दोमुहे बालों की समस्या , सिर में रुसी या अन्य परेशानी कम होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी से बाल रूखे और बेजान हो जाते है जो अलसी के उपयोग से पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है। अलसी में पाए जाने वाले Alfa linolenic acid ) के कारण बाल गिरना कम होता है तथा नए बाल उगने में मदद मिलती है। 

त्वचा – Skin

अलसी के तेल की मालिश भी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होती है।धूप की किरणों में मौजूद रेडिएशन के प्रभाव अलसी खाने से कम हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल को नष्ट करके त्वचा को कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में सहायक होते है अलसी का उपयोग त्वचा के लिए लाभदायक होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड त्वचा की कोशिकाओं Skin Cells के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें पाए जाने वाला लिगनन त्वचा की परेशानियों से बचाता है। यह त्वचा में DHT को कम करके उसे चमकदार बनाता है। अलसी के नियमित उपयोग से स्किन रेशेज , जलन , मुँहासे , फोड़े फुंसी , स्किन की बीमारियाँ  आदि होने की संभावना कम हो जाती है। अलसी के बीज का नियमित उपयोग करने से त्वचा के प्राकृतिक तेल सुचारु रूप से बनते रहते हैं जिसके कारण त्वचा कोमल और जवां बनी रहती है। इसके अलावा रूखेपन के कारण होने वाली समस्याएँ जैसे एग्जीमा , सोरायसिस तथा झुर्रियाँ आदि से बचाव होता है। 

कैंसर से बचाव – Cancer

अलसी में पाये जाने वाले लिगनन एंटीऑक्सीडेंट कैंसर और हृदय रोग से बचाते हैं। यह स्तन कैंसर , प्रोस्टेट कैंसर और आँतों के कैंसर का खतरा कम करते हैं। लिगनन उम्र तथा हार्मोन के बदलाव के कारण होने वाले प्रभाव को कम कर सकते हैं तथा ये कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्निर्माण में सहायक होते हैं।
गलत आदतों और दिनचर्या के कारण होने वाले शारीरिक नुकसान की पूर्ती भी लिगनन जैसे एंटीऑक्सीडेंट से हो सकती है जो कि अलसी में अच्छी मात्रा में होते हैं।

हृदय – Heart

अलसी के बीज या अलसी के तेल का नियमित खाने में प्रयोग किया जाए तो कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा को कम करता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड , घुलनशील फाइबर तथा लिगनन के सामूहिक प्रभाव के कारण हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है और हृदय रोग से बचाव होता है। बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर हृदय रोग का कारण बन सकता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड धमनियों को लचीला बनाये रखने में सहायक होता है। यह नसों में कोलेस्ट्रॉल जमने से बचाता है तथा हृदय की धड़कन नियमित करने में मदद करता है।

पाचन क्रिया – Digestion

अच्छे स्वास्थ्य के लिए पाचन क्रिया अच्छी होना बहुत जरुरी होता है और पाचन क्रिया फाइबर यानि रेशे युक्त आहार से सुधरती है। फाइबर आँतों की सफाई करके पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाते हैं साथ ही कब्ज जैसी परेशानी दूर करके सैंकड़ों तरह की बीमारियाँ दूर रखते हैं।
अलसी के बीज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं जो अपना काम दक्षता से करके पाचन क्रिया को लाभ पहुंचाते हैं। अलसी में पाया जाने वाला पर्याप्त मैग्नीशियम , इस कार्य को अच्छे से करने में सहायक होता है।

डायबिटीज – Diabetes

रिसर्च के अनुसार लिगनन युक्त आहार के नियमित सेवन से इन्सुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है जिसके कारण रक्त में शक्कर की मात्रा सही रहती है और डायबिटीज जैसी परेशानी से बचाव होता है। डायबिटीज होने पर भी अलसी खाने से लाभ मिल सकता है पर इसे डॉक्टर की सलाह के बाद ही शुरू करना चाहिए।

मेनोपॉज – Menopause

नियमित अलसी खाने से मेनोपॉज के समय महिलाओं को होने वाले हॉट फ़्लैश में कमी आती है। यह मेनोपॉज से पहले तथा बाद में होने वाले दुष्प्रभाव को कम करती है। अलसी में पाए जाने वाले लिगनन में एस्ट्रोजन हार्मोन जैसे गुण पाए जाते हैं। मेनोपॉज होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी का बैलेंस कुछ हद तक अलसी से ठीक हो सकता है।
अलसी के उपयोग से मेनोपॉज के बाद होने वाला ओस्टियो पोरोसिस का खतरा भी कम हो सकता है। इसके अलावामाहवारी चक्र को नियमित करने में भी यह सहायक सिद्ध हो सकती है।
अलसी का प्रयोग कैसे करे  
इसे दस मिनट गर्म पानी में फिर दो घंटे सादा पानी में डालकर भिगो देना चाहिए। भीगने पर इसे अंकुरित करने के लिए कपडे में बांध दें  अंकुरित होने पर खाएं या किसी डिश में डालें।इसे पीस कर खाना ठीक रहता है। इसे साबुत खाने से पच नहीं पाती या फिर अलसी का पाउडर बना कर इसका उपयोग  कर सकते है  इसे ताजा ही पीस कर खाना चाहिए वरना इसका स्वाद बदल जाता है  शुरू में कम मात्रा में लेनी चाहिए। और धीरे धीरे इसकी मात्रा बढ़ाये यदि आपको इससे को नुकसान नहीं होता है तो प्रतिदिन दो चम्मच तक उपयोग में  ली जा सकती है। 

अलसी का उपयोग कब नहीं करना चाहिए

कोलेस्ट्रॉल कम करने की या डायबिटीज की दवा ले रहे हों तो अलसी डाक्टर की सलाह के बाद ही लें।
अलसी का उपयोग कर रहे हो तो पानी खूब पीना चाहिए। क्योंकि यह पानी सोखती है।

अलसी में पेट साफ करने की प्रकृति होती है। इरिटेबल बॉउल सिंड्रोम (IBS ) की समस्या से ग्रस्त लोगों को सावधानी से इसका उपयोग करना चाहिए।
कच्ची अलसी में सूक्ष्म मात्रा में विषैला तत्व हो सकता है अतः अधपकी अलसी काम में ना लें।
गर्भावस्था में अलसी नुकसान करती है अतः नहीं खानी चाहिये।
किसी को अलसी खाने से एलर्जी जैसे स्किन में रेशेज , खुजली या साँस लेने में तकलीफ आदि हो तो अलसी नहीं लेनी चाहिये।
किसी भी प्रकार का रक्तस्राव की समस्या से ग्रस्त हों तो अलसी का उपयोग ना करें।

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